191أَيُشرِكونَ ما لا يَخلُقُ شَيئًا وَهُم يُخلَقونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदक्या वे उसको साझी ठहराते है जो कोई चीज़ भी पैदा नहीं करता, बल्कि ऐसे उनके ठहराए हुए साझीदार तो स्वयं पैदा किए जाते हैं