41وَما هُوَ بِقَولِ شاعِرٍ ۚ قَليلًا ما تُؤمِنونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदवह किसी कवि की वाणी नहीं। तुम ईमान थोड़े ही लाते हो