46أَم تَسأَلُهُم أَجرًا فَهُم مِن مَغرَمٍ مُثقَلونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमद(क्या वे यातना ही चाहते हैं) या तुम उनसे कोई बदला माँग रहे हो कि वे तावान के बोझ से दबे जाते हों?