43خاشِعَةً أَبصارُهُم تَرهَقُهُم ذِلَّةٌ ۖ وَقَد كانوا يُدعَونَ إِلَى السُّجودِ وَهُم سالِمونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउनकी निगाहें झुकी हुई होंगी, ज़िल्लत (अपमान) उनपर छा रही होगी। उन्हें उस समय भी सजदा करने के लिए बुलाया जाता था जब वे भले-चंगे थे