3وَإِنَّ لَكَ لَأَجرًا غَيرَ مَمنونٍफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर तुम्हारे वास्ते यक़ीनन वह अज्र है जो कभी ख़त्म ही न होगा