3وَإِنَّ لَكَ لَأَجرًا غَيرَ مَمنونٍफ़ारूक़ ख़ान & अहमदनिश्चय ही तुम्हारे लिए ऐसा प्रतिदान है जिसका क्रम कभी टूटनेवाला नहीं