You are here: Home » Chapter 60 » Verse 10 » Translation
Sura 60
Aya 10
10
يا أَيُّهَا الَّذينَ آمَنوا إِذا جاءَكُمُ المُؤمِناتُ مُهاجِراتٍ فَامتَحِنوهُنَّ ۖ اللَّهُ أَعلَمُ بِإيمانِهِنَّ ۖ فَإِن عَلِمتُموهُنَّ مُؤمِناتٍ فَلا تَرجِعوهُنَّ إِلَى الكُفّارِ ۖ لا هُنَّ حِلٌّ لَهُم وَلا هُم يَحِلّونَ لَهُنَّ ۖ وَآتوهُم ما أَنفَقوا ۚ وَلا جُناحَ عَلَيكُم أَن تَنكِحوهُنَّ إِذا آتَيتُموهُنَّ أُجورَهُنَّ ۚ وَلا تُمسِكوا بِعِصَمِ الكَوافِرِ وَاسأَلوا ما أَنفَقتُم وَليَسأَلوا ما أَنفَقوا ۚ ذٰلِكُم حُكمُ اللَّهِ ۖ يَحكُمُ بَينَكُم ۚ وَاللَّهُ عَليمٌ حَكيمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम्हारे पास ईमान की दावेदार स्त्रियाँ हिजरत करके आएँ तो तुम उन्हें जाँच लिया करो। यूँ तो अल्लाह उनके ईमान से भली-भाँति परिचित है। फिर यदि वे तुम्हें ईमानवाली मालूम हो, तो उन्हें इनकार करनेवालों (अधर्मियों) की ओर न लौटाओ। न तो वे स्त्रियाँ उनके लिए वैद्य है और न वे उन स्त्रियों के लिए वैद्य है। और जो कुछ उन्होंने ख़र्च किया हो तुम उन्हें दे दो और इसमें तुम्हारे लिए कोई गुनाह नहीं कि तुम उनसे विवाह कर लो, जबकि तुम उन्हें महर अदा कर दो। और तुम स्वयं भी इनकार करनेवाली स्त्रियों के सतीत्व को अपने अधिकार में न रखो। और जो कुछ तुमने ख़र्च किया हो माँग लो। और उन्हें भी चाहिए कि जो कुछ उन्होंने ख़र्च किया हो माँग ले। यह अल्लाह का आदेश है। वह तुम्हारे बीच फ़ैसला करता है। अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है