وَهُوَ الَّذي أَنزَلَ مِنَ السَّماءِ ماءً فَأَخرَجنا بِهِ نَباتَ كُلِّ شَيءٍ فَأَخرَجنا مِنهُ خَضِرًا نُخرِجُ مِنهُ حَبًّا مُتَراكِبًا وَمِنَ النَّخلِ مِن طَلعِها قِنوانٌ دانِيَةٌ وَجَنّاتٍ مِن أَعنابٍ وَالزَّيتونَ وَالرُّمّانَ مُشتَبِهًا وَغَيرَ مُتَشابِهٍ ۗ انظُروا إِلىٰ ثَمَرِهِ إِذا أَثمَرَ وَيَنعِهِ ۚ إِنَّ في ذٰلِكُم لَآياتٍ لِقَومٍ يُؤمِنونَ
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और वह वही (क़ादिर तवाना है) जिसने आसमान से पानी बरसाया फिर हम ही ने उसके ज़रिए से हर चीज़ के कोए निकालें फिर हम ही ने उससे हरी भरी टहनियाँ निकालीं कि उससे हम बाहम गुत्थे दाने निकालते हैं और छुहारे के बोर (मुन्जिर) से लटके हुए गुच्छे पैदा किए और अंगूर और ज़ैतून और अनार के बाग़ात जो बाहम सूरत में एक दूसरे से मिलते जुलते और (मजे में) जुदा जुदा जब ये पिघले और पक्के तो उसके फल की तरफ ग़ौर तो करो बेशक अमन में ईमानदार लोगों के लिए बहुत सी (ख़ुदा की) निशानियाँ हैं