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Sura 6
Aya 92
92
وَهٰذا كِتابٌ أَنزَلناهُ مُبارَكٌ مُصَدِّقُ الَّذي بَينَ يَدَيهِ وَلِتُنذِرَ أُمَّ القُرىٰ وَمَن حَولَها ۚ وَالَّذينَ يُؤمِنونَ بِالآخِرَةِ يُؤمِنونَ بِهِ ۖ وَهُم عَلىٰ صَلاتِهِم يُحافِظونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

उसके बाद उन्हें छोड़ के (पडे झक मारा करें (और) अपनी तू तू मै मै में खेलते फिरें और (क़ुरान) भी वह किताब है जिसे हमने बाबरकत नाज़िल किया और उस किताब की तसदीक़ करती है जो उसके सामने (पहले से) मौजूद है और (इस वास्ते नाज़िल किया है) ताकि तुम उसके ज़रिए से अहले मक्का और उसके एतराफ़ के रहने वालों को (ख़ौफ ख़ुदा से) डराओ और जो लोग आख़िरत पर ईमान रखते हैं वह तो उस पर (बे ताम्मुल) ईमान लाते है और वही अपनी अपनी नमाज़ में भी पाबन्दी करते हैं