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Sura 6
Aya 70
70
وَذَرِ الَّذينَ اتَّخَذوا دينَهُم لَعِبًا وَلَهوًا وَغَرَّتهُمُ الحَياةُ الدُّنيا ۚ وَذَكِّر بِهِ أَن تُبسَلَ نَفسٌ بِما كَسَبَت لَيسَ لَها مِن دونِ اللَّهِ وَلِيٌّ وَلا شَفيعٌ وَإِن تَعدِل كُلَّ عَدلٍ لا يُؤخَذ مِنها ۗ أُولٰئِكَ الَّذينَ أُبسِلوا بِما كَسَبوا ۖ لَهُم شَرابٌ مِن حَميمٍ وَعَذابٌ أَليمٌ بِما كانوا يَكفُرونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

छोड़ो उन लोगों को, जिन्होंने अपने धर्म को खेल और तमाशा बना लिया है और उन्हें सांसारिक जीवन ने धोखे में डाल रखा है। और इसके द्वारा उन्हें नसीहत करते रहो कि कहीं ऐसा न हो कि कोई अपनी कमाई के कारण तबाही में पड़ जाए। अल्लाह से हटकर कोई भी नहीं, जो उसका समर्थक और सिफ़ारिश करनेवाला हो सके और यदि वह छुटकारा पाने के लिए बदले के रूप में हर सम्भव चीज़ देने लगे, तो भी वह उससे न लिया जाए। ऐसे ही लोग है, जो अपनी कमाई के कारण तबाही में पड गए। उनके लिए पीने को खौलता हुआ पानी है और दुखद यातना भी; क्योंकि वे इनकार करते रहे थे