55وَكَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الآياتِ وَلِتَستَبينَ سَبيلُ المُجرِمينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर हम (अपनी) आयतों को यूं तफ़सील से बयान करते हैं ताकि गुनाहगारों की राह (सब पर) खुल जाए और वह इस पर न चले