41بَل إِيّاهُ تَدعونَ فَيَكشِفُ ما تَدعونَ إِلَيهِ إِن شاءَ وَتَنسَونَ ما تُشرِكونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(दूसरों को तो क्या) बल्कि उसी को पुकारोगे फिर अगर वह चाहेगा तो जिस के वास्ते तुमने उसको पुकारा है उसे दफा कर देगा और (उस वक्त) तुम दूसरे माबूदों को जिन्हे तुम (ख़ुदा का) शरीक समझते थे भूल जाओगे