41بَل إِيّاهُ تَدعونَ فَيَكشِفُ ما تَدعونَ إِلَيهِ إِن شاءَ وَتَنسَونَ ما تُشرِكونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमद"बल्कि तुम उसी को पुकारते हो - फिर जिसके लिए तुम उसे पुकारते हो, वह चाहता है तो उसे दूर कर देता है - और उन्हें भूल जाते हो जिन्हें साझीदार ठहराते हो।"