135قُل يا قَومِ اعمَلوا عَلىٰ مَكانَتِكُم إِنّي عامِلٌ ۖ فَسَوفَ تَعلَمونَ مَن تَكونُ لَهُ عاقِبَةُ الدّارِ ۗ إِنَّهُ لا يُفلِحُ الظّالِمونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदकह दो, "ऐ मेरी क़ौम के लोगो! तुम अपनी जगह कर्म करते रहो, मैं भी अपनी जगह कर्मशील हूँ। शीघ्र ही तुम्हें मालूम हो जाएगा कि घर (लोक-परलोक) का परिणाम किसके हित में होता है। निश्चय ही अत्याचारी सफल नहीं होते।"