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Sura 6
Aya 125
125
فَمَن يُرِدِ اللَّهُ أَن يَهدِيَهُ يَشرَح صَدرَهُ لِلإِسلامِ ۖ وَمَن يُرِد أَن يُضِلَّهُ يَجعَل صَدرَهُ ضَيِّقًا حَرَجًا كَأَنَّما يَصَّعَّدُ فِي السَّماءِ ۚ كَذٰلِكَ يَجعَلُ اللَّهُ الرِّجسَ عَلَى الَّذينَ لا يُؤمِنونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

तो ख़ुदा जिस शख़्श को राह रास्त दिखाना चाहता है उसके सीने को इस्लाम (की दौलियत) के वास्ते (साफ़ और) कुशादा (चौड़ा) कर देता है और जिसको गुमराही की हालत में छोड़ना चाहता है उनके सीने को तंग दुश्वार ग़ुबार कर देता है गोया (कुबूल ईमान) उसके लिए आसमान पर चढ़ना है जो लोग ईमान नहीं लाते ख़ुदा उन पर बुराई को उसी तरह मुसल्लत कर देता है