107وَلَو شاءَ اللَّهُ ما أَشرَكوا ۗ وَما جَعَلناكَ عَلَيهِم حَفيظًا ۖ وَما أَنتَ عَلَيهِم بِوَكيلٍफ़ारूक़ ख़ान & अहमदयदि अल्लाह चाहता तो वे (उसका) साझी न ठहराते। तुम्हें हमने उनपर कोई नियुक्त संरक्षक तो नहीं बनाया है और न तुम उनके कोई ज़िम्मेदार ही हो