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Sura 59
Aya 2
2
هُوَ الَّذي أَخرَجَ الَّذينَ كَفَروا مِن أَهلِ الكِتابِ مِن دِيارِهِم لِأَوَّلِ الحَشرِ ۚ ما ظَنَنتُم أَن يَخرُجوا ۖ وَظَنّوا أَنَّهُم مانِعَتُهُم حُصونُهُم مِنَ اللَّهِ فَأَتاهُمُ اللَّهُ مِن حَيثُ لَم يَحتَسِبوا ۖ وَقَذَفَ في قُلوبِهِمُ الرُّعبَ ۚ يُخرِبونَ بُيوتَهُم بِأَيديهِم وَأَيدِي المُؤمِنينَ فَاعتَبِروا يا أُولِي الأَبصارِ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वही है जिसने किताबवालों में से उन लोगों को जिन्होंने इनकार किया, उनके घरों से पहले ही जमावड़े में निकल बाहर किया। तुम्हें गुमान न था कि उनकी गढ़ियाँ अल्लाह से उन्हें बचा लेंगी। किन्तु अल्लाह उनपर वहाँ से आया जिसका उन्हें गुमान भी न था। और उसने उनके दिलों में रोब डाल दिया कि वे अपने घरों को स्वयं अपने हाथों और ईमानवालों के हाथों भी उजाड़ने लगे। अतः शिक्षा ग्रहण करो, ऐ दृष्टि रखनेवालो!