لا تَجِدُ قَومًا يُؤمِنونَ بِاللَّهِ وَاليَومِ الآخِرِ يُوادّونَ مَن حادَّ اللَّهَ وَرَسولَهُ وَلَو كانوا آباءَهُم أَو أَبناءَهُم أَو إِخوانَهُم أَو عَشيرَتَهُم ۚ أُولٰئِكَ كَتَبَ في قُلوبِهِمُ الإيمانَ وَأَيَّدَهُم بِروحٍ مِنهُ ۖ وَيُدخِلُهُم جَنّاتٍ تَجري مِن تَحتِهَا الأَنهارُ خالِدينَ فيها ۚ رَضِيَ اللَّهُ عَنهُم وَرَضوا عَنهُ ۚ أُولٰئِكَ حِزبُ اللَّهِ ۚ أَلا إِنَّ حِزبَ اللَّهِ هُمُ المُفلِحونَ
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
जो लोग ख़ुदा और रोज़े आख़ेरत पर ईमान रखते हैं तुम उनको ख़ुदा और उसके रसूल के दुश्मनों से दोस्ती करते हुए न देखोगे अगरचे वह उनके बाप या बेटे या भाई या ख़ानदान ही के लोग (क्यों न हों) यही वह लोग हैं जिनके दिलों में ख़ुदा ने ईमान को साबित कर दिया है और ख़ास अपने नूर से उनकी ताईद की है और उनको (बेहिश्त में) उन (हरे भरे) बाग़ों में दाखिल करेगा जिनके नीचे नहरे जारी है (और वह) हमेश उसमें रहेंगे ख़ुदा उनसे राज़ी और वह ख़ुदा से ख़ुश यही ख़ुदा का गिरोह है सुन रखो कि ख़ुदा के गिरोग के लोग दिली मुरादें पाएँगे