6يولِجُ اللَّيلَ فِي النَّهارِ وَيولِجُ النَّهارَ فِي اللَّيلِ ۚ وَهُوَ عَليمٌ بِذاتِ الصُّدورِफ़ारूक़ ख़ान & नदवीवही रात को (घटा कर) दिन में दाखिल करता है तो दिन बढ़ जाता है और दिन को (घटाकर) रात में दाख़िल करता है (तो रात बढ़ जाती है) और दिलों के भेदों तक से ख़ूब वाक़िफ है