29لِئَلّا يَعلَمَ أَهلُ الكِتابِ أَلّا يَقدِرونَ عَلىٰ شَيءٍ مِن فَضلِ اللَّهِ ۙ وَأَنَّ الفَضلَ بِيَدِ اللَّهِ يُؤتيهِ مَن يَشاءُ ۚ وَاللَّهُ ذُو الفَضلِ العَظيمِफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(ये इसलिए कहा जाता है) ताकि अहले किताब ये न समझें कि ये मोमिनीन ख़ुदा के फज़ल (व क़रम) पर कुछ भी कुदरत नहीं रखते और ये तो यक़ीनी बात है कि फज़ल ख़ुदा ही के कब्ज़े में है वह जिसको चाहे अता फरमाए और ख़ुदा तो बड़े फज़ल (व क़रम) का मालिक है