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Sura 57
Aya 27
27
ثُمَّ قَفَّينا عَلىٰ آثارِهِم بِرُسُلِنا وَقَفَّينا بِعيسَى ابنِ مَريَمَ وَآتَيناهُ الإِنجيلَ وَجَعَلنا في قُلوبِ الَّذينَ اتَّبَعوهُ رَأفَةً وَرَحمَةً وَرَهبانِيَّةً ابتَدَعوها ما كَتَبناها عَلَيهِم إِلَّا ابتِغاءَ رِضوانِ اللَّهِ فَما رَعَوها حَقَّ رِعايَتِها ۖ فَآتَينَا الَّذينَ آمَنوا مِنهُم أَجرَهُم ۖ وَكَثيرٌ مِنهُم فاسِقونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

फिर उनके पीछे ही उनके क़दम ब क़दम अपने और पैग़म्बर भेजे और उनके पीछे मरियम के बेटे ईसा को भेजा और उनको इन्जील अता की और जिन लोगों ने उनकी पैरवी की उनके दिलों में यफ़क्क़त और मेहरबानी डाल दी और रहबानियत (लज्ज़ात से किनाराकशी) उन लोगों ने ख़ुद एक नयी बात निकाली थी हमने उनको उसका हुक्म नहीं दिया था मगर (उन लोगों ने) ख़ुदा की ख़ुशनूदी हासिल करने की ग़रज़ से (ख़ुद ईजाद किया) तो उसको भी जैसा बनाना चाहिए था न बना सके तो जो लोग उनमें से ईमान लाए उनको हमने उनका अज्र दिया उनमें के बहुतेरे तो बदकार ही हैं