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Sura 57
Aya 20
20
اعلَموا أَنَّمَا الحَياةُ الدُّنيا لَعِبٌ وَلَهوٌ وَزينَةٌ وَتَفاخُرٌ بَينَكُم وَتَكاثُرٌ فِي الأَموالِ وَالأَولادِ ۖ كَمَثَلِ غَيثٍ أَعجَبَ الكُفّارَ نَباتُهُ ثُمَّ يَهيجُ فَتَراهُ مُصفَرًّا ثُمَّ يَكونُ حُطامًا ۖ وَفِي الآخِرَةِ عَذابٌ شَديدٌ وَمَغفِرَةٌ مِنَ اللَّهِ وَرِضوانٌ ۚ وَمَا الحَياةُ الدُّنيا إِلّا مَتاعُ الغُرورِ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जान लो, सांसारिक जीवन तो बस एक खेल और तमाशा है और एक साज-सज्जा, और तुम्हारा आपस में एक-दूसरे पर बड़ाई जताना, और धन और सन्तान में परस्पर एक-दूसरे से बढ़ा हुआ प्रदर्शित करना। वर्षा का मिसाल की तरह जिसकी वनस्पति ने किसान का दिल मोह लिया। फिर वह पक जाती है; फिर तुम उसे देखते हो कि वह पीली हो गई। फिर वह चूर्ण-विचूर्ण होकर रह जाती है, जबकि आख़िरत में कठोर यातना भी है और अल्लाह की क्षमा और प्रसन्नता भी। सांसारिक जीवन तो केवल धोखे की सुख-सामग्री है