54مُتَّكِئينَ عَلىٰ فُرُشٍ بَطائِنُها مِن إِستَبرَقٍ ۚ وَجَنَى الجَنَّتَينِ دانٍफ़ारूक़ ख़ान & नदवीयह लोग उन फ़र्शों पर जिनके असतर अतलस के होंगे तकिये लगाकर बैठे होंगे तो दोनों बाग़ों के मेवे (इस क़दर) क़रीब होंगे (कि अगर चाहे तो लगे हुए खालें)