33يا مَعشَرَ الجِنِّ وَالإِنسِ إِنِ استَطَعتُم أَن تَنفُذوا مِن أَقطارِ السَّماواتِ وَالأَرضِ فَانفُذوا ۚ لا تَنفُذونَ إِلّا بِسُلطانٍफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऐ गिरोह जिन व इन्स अगर तुममें क़ुदरत है कि आसमानों और ज़मीन के किनारों से (होकर कहीं) निकल (कर मौत या अज़ाब से भाग) सको तो निकल जाओ (मगर) तुम तो बग़ैर क़ूवत और ग़लबे के निकल ही नहीं सकते (हालॉ कि तुममें न क़ूवत है और न ही ग़लबा)