You are here: Home » Chapter 55 » Verse 33 » Translation
Sura 55
Aya 33
33
يا مَعشَرَ الجِنِّ وَالإِنسِ إِنِ استَطَعتُم أَن تَنفُذوا مِن أَقطارِ السَّماواتِ وَالأَرضِ فَانفُذوا ۚ لا تَنفُذونَ إِلّا بِسُلطانٍ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ जिन्नों और मनुष्यों के गिरोह! यदि तुममें हो सके कि आकाशों और धरती की सीमाओं को पार कर सको, तो पार कर जाओ; तुम कदापि पार नहीं कर सकते बिना अधिकार-शक्ति के