43أَكُفّارُكُم خَيرٌ مِن أُولٰئِكُم أَم لَكُم بَراءَةٌ فِي الزُّبُرِफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(ऐ अहले मक्का) क्या उन लोगों से भी तुम्हारे कुफ्फार बढ़ कर हैं या तुम्हारे वास्ते (पहली) किताबों में माफी (लिखी हुई) है