38أَلّا تَزِرُ وازِرَةٌ وِزرَ أُخرىٰफ़ारूक़ ख़ान & नदवीजिन्होने (अपना हक़) (पूरा अदा) किया इन सहीफ़ों में ये है, कि कोई शख़्श दूसरे (के गुनाह) का बोझ नहीं उठाएगा