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Sura 53
Aya 26
26
۞ وَكَم مِن مَلَكٍ فِي السَّماواتِ لا تُغني شَفاعَتُهُم شَيئًا إِلّا مِن بَعدِ أَن يَأذَنَ اللَّهُ لِمَن يَشاءُ وَيَرضىٰ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और आसमानों में बहुत से फरिश्ते हैं जिनकी सिफ़ारिश कुछ भी काम न आती, मगर ख़ुदा जिसके लिए चाहे इजाज़त दे दे और पसन्द करे उसके बाद (सिफ़ारिश कर सकते हैं)