26۞ وَكَم مِن مَلَكٍ فِي السَّماواتِ لا تُغني شَفاعَتُهُم شَيئًا إِلّا مِن بَعدِ أَن يَأذَنَ اللَّهُ لِمَن يَشاءُ وَيَرضىٰफ़ारूक़ ख़ान & अहमदआकाशों में कितने ही फ़रिश्ते है, उनकी सिफ़ारिश कुछ काम नहीं आएगी; यदि काम आ सकती है तो इसके पश्चात ही कि अल्लाह अनुमति दे, जिसे चाहे और पसन्द करे।