57ما أُريدُ مِنهُم مِن رِزقٍ وَما أُريدُ أَن يُطعِمونِफ़ारूक़ ख़ान & नदवीन तो मैं उनसे रोज़ी का तालिब हूँ और न ये चाहता हूँ कि मुझे खाना खिलाएँ