57ما أُريدُ مِنهُم مِن رِزقٍ وَما أُريدُ أَن يُطعِمونِफ़ारूक़ ख़ान & अहमदमैं उनसे कोई रोज़ी नहीं चाहता और न यह चाहता हूँ कि वे मुझे खिलाएँ