6أَفَلَم يَنظُروا إِلَى السَّماءِ فَوقَهُم كَيفَ بَنَيناها وَزَيَّنّاها وَما لَها مِن فُروجٍफ़ारूक़ ख़ान & अहमदअच्छा तो क्या उन्होंने अपने ऊपर आकाश को नहीं देखा, हमने उसे कैसा बनाया और उसे सजाया। और उसमें कोई दरार नहीं