29ما يُبَدَّلُ القَولُ لَدَيَّ وَما أَنا بِظَلّامٍ لِلعَبيدِफ़ारूक़ ख़ान & नदवीमेरे यहाँ बात बदला नहीं करती और न मैं बन्दों पर (ज़र्रा बराबर) ज़ुल्म करने वाला हूँ