29ما يُبَدَّلُ القَولُ لَدَيَّ وَما أَنا بِظَلّامٍ لِلعَبيدِफ़ारूक़ ख़ान & अहमद"मेरे यहाँ बात बदला नहीं करती और न मैं अपने बन्दों पर तनिक भी अत्याचार करता हूँ।"