84وَما لَنا لا نُؤمِنُ بِاللَّهِ وَما جاءَنا مِنَ الحَقِّ وَنَطمَعُ أَن يُدخِلَنا رَبُّنا مَعَ القَومِ الصّالِحينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर हमको क्या हो गया है कि हम ख़ुदा और जो हक़ बात हमारे पास आ चुकी है उस पर तो ईमान न लाएँ और (फिर) ख़ुदा से उम्मीद रखें कि वह अपने नेक बन्दों के साथ हमें (बेहिश्त में) पहुँचा ही देगा