84وَما لَنا لا نُؤمِنُ بِاللَّهِ وَما جاءَنا مِنَ الحَقِّ وَنَطمَعُ أَن يُدخِلَنا رَبُّنا مَعَ القَومِ الصّالِحينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमद"और हम अल्लाह पर और जो सत्य हमारे पास पहुँचा है उसपर ईमान क्यों न लाएँ, जबकि हमें आशा है कि हमारा रब हमें अच्छे लोगों के साथ (जन्नत में) प्रविष्ट, करेगा।"