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Sura 5
Aya 68
68
قُل يا أَهلَ الكِتابِ لَستُم عَلىٰ شَيءٍ حَتّىٰ تُقيمُوا التَّوراةَ وَالإِنجيلَ وَما أُنزِلَ إِلَيكُم مِن رَبِّكُم ۗ وَلَيَزيدَنَّ كَثيرًا مِنهُم ما أُنزِلَ إِلَيكَ مِن رَبِّكَ طُغيانًا وَكُفرًا ۖ فَلا تَأسَ عَلَى القَومِ الكافِرينَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कह दो, ॅ"ऐ किताबवालो! तुम किसी भी चीज़ पर नहीं हो, जब तक कि तौरात और इनजील को और जो कुछ तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी ओर अवतरित हुआ है, उसे क़ायम न रखो।" किन्तु (ऐ नबी!) तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी ओर जो कुछ अवतरित हुआ है, वह अवश्य ही उनमें से बहुतों की सरकशी और इनकार में अभिवृद्धि करनेवाला है। अतः तुम इनकार करनेवाले लोगों की दशा पर दुखी न होना