63لَولا يَنهاهُمُ الرَّبّانِيّونَ وَالأَحبارُ عَن قَولِهِمُ الإِثمَ وَأَكلِهِمُ السُّحتَ ۚ لَبِئسَ ما كانوا يَصنَعونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउनके सन्त और धर्मज्ञाता उन्हें गुनाह की बात बकने और हराम खाने से क्यों नहीं रोकते? निश्चय ही बहुत बुरा है जो काम वे कर रहे है