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Sura 5
Aya 6
6
يا أَيُّهَا الَّذينَ آمَنوا إِذا قُمتُم إِلَى الصَّلاةِ فَاغسِلوا وُجوهَكُم وَأَيدِيَكُم إِلَى المَرافِقِ وَامسَحوا بِرُءوسِكُم وَأَرجُلَكُم إِلَى الكَعبَينِ ۚ وَإِن كُنتُم جُنُبًا فَاطَّهَّروا ۚ وَإِن كُنتُم مَرضىٰ أَو عَلىٰ سَفَرٍ أَو جاءَ أَحَدٌ مِنكُم مِنَ الغائِطِ أَو لامَستُمُ النِّساءَ فَلَم تَجِدوا ماءً فَتَيَمَّموا صَعيدًا طَيِّبًا فَامسَحوا بِوُجوهِكُم وَأَيديكُم مِنهُ ۚ ما يُريدُ اللَّهُ لِيَجعَلَ عَلَيكُم مِن حَرَجٍ وَلٰكِن يُريدُ لِيُطَهِّرَكُم وَلِيُتِمَّ نِعمَتَهُ عَلَيكُم لَعَلَّكُم تَشكُرونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ ईमान लेनेवालो! जब तुम नमाज़ के लिए उठो तो अपने चहरों को और हाथों को कुहनियों तक धो लिया करो और अपने सिरों पर हाथ फेर लो और अपने पैरों को भी टखनों तक धो लो। और यदि नापाक हो तो अच्छी तरह पाक हो जाओ। परन्तु यदि बीमार हो या सफ़र में हो या तुममें से कोई शौच करके आया हो या तुमने स्त्रियों को हाथ लगया हो, फिर पानी न मिले तो पाक मिट्टी से काम लो। उसपर हाथ मारकर अपने मुँह और हाथों पर फेर लो। अल्लाह तुम्हें किसी तंगी में नहीं डालना चाहता। अपितु वह चाहता हैं कि तुम्हें पवित्र करे और अपनी नेमत तुमपर पूरी कर दे, ताकि तुम कृतज्ञ बनो