51۞ يا أَيُّهَا الَّذينَ آمَنوا لا تَتَّخِذُوا اليَهودَ وَالنَّصارىٰ أَولِياءَ ۘ بَعضُهُم أَولِياءُ بَعضٍ ۚ وَمَن يَتَوَلَّهُم مِنكُم فَإِنَّهُ مِنهُم ۗ إِنَّ اللَّهَ لا يَهدِي القَومَ الظّالِمينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऐ ईमान लानेवालो! तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र (राज़दार) न बनाओ। वे (तुम्हारे विरुद्ध) परस्पर एक-दूसरे के मित्र है। तुममें से जो कोई उनको अपना मित्र बनाएगा, वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह अत्याचारियों को मार्ग नहीं दिखाता