105يا أَيُّهَا الَّذينَ آمَنوا عَلَيكُم أَنفُسَكُم ۖ لا يَضُرُّكُم مَن ضَلَّ إِذَا اهتَدَيتُم ۚ إِلَى اللَّهِ مَرجِعُكُم جَميعًا فَيُنَبِّئُكُم بِما كُنتُم تَعمَلونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऐ ईमान लानेवालो! तुमपर अपनी चिन्ता अनिवार्य है, जब तुम रास्ते पर हो, तो जो कोई भटक जाए वह तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अल्लाह की ओर तुम सबको लौटकर जाना है। फिर वह तुम्हें बता देगा, जो कुछ तुम करते रहे होगे