103ما جَعَلَ اللَّهُ مِن بَحيرَةٍ وَلا سائِبَةٍ وَلا وَصيلَةٍ وَلا حامٍ ۙ وَلٰكِنَّ الَّذينَ كَفَروا يَفتَرونَ عَلَى اللَّهِ الكَذِبَ ۖ وَأَكثَرُهُم لا يَعقِلونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदअल्लाह ने न कोई 'बहीरा' ठहराया है और न 'सायबा' और न 'वसीला' और न 'हाम', परन्तु इनकार करनेवाले अल्लाह पर झूठ का आरोपण करते है और उनमें अधिकतर बुद्धि से काम नहीं लेते