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Sura 49
Aya 9
9
وَإِن طائِفَتانِ مِنَ المُؤمِنينَ اقتَتَلوا فَأَصلِحوا بَينَهُما ۖ فَإِن بَغَت إِحداهُما عَلَى الأُخرىٰ فَقاتِلُوا الَّتي تَبغي حَتّىٰ تَفيءَ إِلىٰ أَمرِ اللَّهِ ۚ فَإِن فاءَت فَأَصلِحوا بَينَهُما بِالعَدلِ وَأَقسِطوا ۖ إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ المُقسِطينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और अगर मोमिनीन में से दो फिरक़े आपस में लड़ पड़े तो उन दोनों में सुलह करा दो फिर अगर उनमें से एक (फ़रीक़) दूसरे पर ज्यादती करे तो जो (फिरक़ा) ज्यादती करे तुम (भी) उससे लड़ो यहाँ तक वह ख़ुदा के हुक्म की तरफ रूझू करे फिर जब रूजू करे तो फरीकैन में मसावात के साथ सुलह करा दो और इन्साफ़ से काम लो बेशक ख़ुदा इन्साफ़ करने वालों को दोस्त रखता है