You are here: Home » Chapter 47 » Verse 4 » Translation
Sura 47
Aya 4
4
فَإِذا لَقيتُمُ الَّذينَ كَفَروا فَضَربَ الرِّقابِ حَتّىٰ إِذا أَثخَنتُموهُم فَشُدُّوا الوَثاقَ فَإِمّا مَنًّا بَعدُ وَإِمّا فِداءً حَتّىٰ تَضَعَ الحَربُ أَوزارَها ۚ ذٰلِكَ وَلَو يَشاءُ اللَّهُ لَانتَصَرَ مِنهُم وَلٰكِن لِيَبلُوَ بَعضَكُم بِبَعضٍ ۗ وَالَّذينَ قُتِلوا في سَبيلِ اللَّهِ فَلَن يُضِلَّ أَعمالَهُم

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः जब इनकार करनेवालो से तुम्हारी मुठभेड़ हो तो (उनकी) गरदनें मारना है, यहाँ तक कि जब उन्हें अच्छी तरह कुचल दो तो बन्धनों में जकड़ो, फिर बाद में या तो एहसान करो या फ़िदया (अर्थ-दंड) का मामला करो, यहाँ तक कि युद्ध अपने बोझ उतारकर रख दे। यह भली-भाँति समझ लो, यदि अल्लाह चाहे तो स्वयं उनसे निपट ले। किन्तु (उसने या आदेश इसलिए दिया) ताकि तुम्हारी एक-दूसरे की परीक्षा ले। और जो लोग अल्लाह के मार्ग में मारे जाते है उनके कर्म वह कदापि अकारथ न करेगा