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Sura 47
Aya 15
15
مَثَلُ الجَنَّةِ الَّتي وُعِدَ المُتَّقونَ ۖ فيها أَنهارٌ مِن ماءٍ غَيرِ آسِنٍ وَأَنهارٌ مِن لَبَنٍ لَم يَتَغَيَّر طَعمُهُ وَأَنهارٌ مِن خَمرٍ لَذَّةٍ لِلشّارِبينَ وَأَنهارٌ مِن عَسَلٍ مُصَفًّى ۖ وَلَهُم فيها مِن كُلِّ الثَّمَراتِ وَمَغفِرَةٌ مِن رَبِّهِم ۖ كَمَن هُوَ خالِدٌ فِي النّارِ وَسُقوا ماءً حَميمًا فَقَطَّعَ أَمعاءَهُم

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उस जन्नत की शान, जिसका वादा डर रखनेवालों से किया गया है, यह है कि ऐसे पानी की नहरें होगी जो प्रदूषित नहीं होता। और ऐसे दूध की नहरें होंगी जिसके स्वाद में तनिक भी अन्तर न आया होगा, और ऐसे पेय की नहरें होंगी जो पीनेवालों के लिए मज़ा ही मज़ा होंगी, और साफ़-सुधरे शहद की नहरें भी होंगी। और उनके लिए वहाँ हर प्रकार के फल होंगे और क्षमा उनके अपने रब की ओर से - क्या वे उन जैसे हो सकते है, जो सदैव आग में रहनेवाले है और जिन्हें खौलता हुआ पानी पिलाया जाएगा, जो उनकी आँतों को टुकड़े-टुकड़े करके रख देगा?