41يَومَ لا يُغني مَولًى عَن مَولًى شَيئًا وَلا هُم يُنصَرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजिस दिन कोई अपना किसी अपने के कुछ काम न आएगा और न कोई सहायता पहुँचेगी,