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Sura 44
Aya 20
20
وَإِنّي عُذتُ بِرَبّي وَرَبِّكُم أَن تَرجُمونِ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और इस बात से कि तुम मुझे संगसार करो मैं अपने और तुम्हारे परवरदिगार (ख़ुदा) की पनाह मांगता हूँ