51۞ وَما كانَ لِبَشَرٍ أَن يُكَلِّمَهُ اللَّهُ إِلّا وَحيًا أَو مِن وَراءِ حِجابٍ أَو يُرسِلَ رَسولًا فَيوحِيَ بِإِذنِهِ ما يَشاءُ ۚ إِنَّهُ عَلِيٌّ حَكيمٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर किसी आदमी के लिए ये मुमकिन नहीं कि ख़ुदा उससे बात करे मगर वही के ज़रिए से (जैसे) (दाऊद) परदे के पीछे से जैसे (मूसा) या कोई फ़रिश्ता भेज दे (जैसे मोहम्मद) ग़रज़ वह अपने एख्तेयार से जो चाहता है पैग़ाम भेज देता है बेशक वह आलीशान हिकमत वाला है