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Sura 42
Aya 5
5
تَكادُ السَّماواتُ يَتَفَطَّرنَ مِن فَوقِهِنَّ ۚ وَالمَلائِكَةُ يُسَبِّحونَ بِحَمدِ رَبِّهِم وَيَستَغفِرونَ لِمَن فِي الأَرضِ ۗ أَلا إِنَّ اللَّهَ هُوَ الغَفورُ الرَّحيمُ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

लगता है कि आकाश स्वयं अपने ऊपर से फट पड़े। हाल यह है कि फ़रिश्ते अपने रब का गुणगान कर रहे, और उन लोगों के लिए जो धरती में है, क्षमा की प्रार्थना करते रहते है। सुन लो! निश्चय ही अल्लाह ही क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है