27۞ وَلَو بَسَطَ اللَّهُ الرِّزقَ لِعِبادِهِ لَبَغَوا فِي الأَرضِ وَلٰكِن يُنَزِّلُ بِقَدَرٍ ما يَشاءُ ۚ إِنَّهُ بِعِبادِهِ خَبيرٌ بَصيرٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर अगर ख़ुदा ने अपने बन्दों की रोज़ी में फराख़ी कर दे तो वह लोग ज़रूर (रूए) ज़मीन से सरकशी करने लगें मगर वह तो बाक़दरे मुनासिब जिसकी रोज़ी (जितनी) चाहता है नाज़िल करता है वह बेशक अपने बन्दों से ख़बरदार (और उनको) देखता है